dimanche 4 novembre 2012

आज फिर





आज फिर जी उठने का मन है,
किसी से दिन भर बातें करने का मन है ।

टूटे दिल की शिकायत हो गयी कई बार ,
आज फिर से उसे जोड़ने का मन है,
किसी से जी भर बातें करने का मन है।

जो पल खोने थे वोह कब के खो गए,
आज फिर से नए पलों को ढूँढने का मन है,
किसी के साथ वक़्त चुराने का मन है।

बरबस ही बेबस चेहरा नहीं हो सकता तेरा,
यही कहता सामने का दर्पण है,
इस दिल में फिर कशिश लाने का मन है ।

हो गयी है ज़िन्दगी पुरानी कल की,
आज फिर नया उसे करने का प्रण है,
किसी को ज़िन्दगी बनाने का मन है,
आज फिर जी भर बातें करने का मन है ।

mercredi 31 octobre 2012

घड़ी खो गयी





बड़ी देर से पापा,
इंतज़ार था मुझे आपका,
क्या बताऊँ आपको मैं,
परेशान हो गयी,
मेरी प्यारी घड़ी खो गयी ||

यादें बसीं थीं मेरी उसमें,
संजोये थे उसमे सपने,
पर फिर भी पापा,
न जाने कहाँ फुर्र सी हो गयी,
मेरी प्यारी सी घड़ी खो गयी ||

बज रहे थे उस दिन  मेरे लिए,
ढोल, मंजीरे, खड़ताल,
सजी संवरी, सहमायी, घबराई सी थी मैं,
आपकी गुडिया तब डरपोक हो गयी,
बस वहीँ कहीं मेरी घड़ी खो गयी ||

हर सहेली मेरी पापा, अपने बाबुल को भूली,
पर पापा शायद मैं चढ़ गयी सूली,
खेल नहीं हैं यह गुड़ियों का,
क्या मेरी मां भी भूल गयी?
पापा मेरी प्यारी घड़ी खो गयी ||

पापा हर दिन, हर वार,
पीहर वालों के कटाक्षों की मार,
ज़िन्दगी शायद एक बोझ सी हो गयी,
पापा मेरी घड़ी खो गयी ||

जिद पर अड़े थे न तुम पापा?
अब देखो तुम्हारी बेटी फूट फूट के रोई,
भैया भी हैं अब रूठे,
भाभी ने अपने होठों पे सूई पिरोई,
ढूँढ दो पापा,
मेरी घड़ी है खोयी ||

ज़िन्दगी भर संग रहूंगी तुम्हारे पापा,
मेरे सर पे अपना हाथ सदा रखना पापा,
मेरी वह घड़ी खो गयी तो क्या हुआ,
मुझे दोबारा सूली पर चढाने की जिद न करना पापा ||

vendredi 26 octobre 2012

कुछ बातें






कुछ बातें बस ऐसी होतीं हैं,
कही नहीं जाती है तुमसे,
पर शायद साथ होने का एहसास ज़रूरी है,
कुछ बातें बस ऐसी होतीं हैं ||

कुछ पल बस ऐसे होतें हैं,
के छायी होती है चुप्पी,
और देखती रहती हैं आँखें,
एक दुसरे को एकटक,
कुछ बातें बस ऐसी होती हैं ||

कुछ महक बस ऐसीं होतीं हैं,
के खुशबू है तुम्हारे साँसों की,
और हाटों में हैं हाथ,
और बीत जाते हैं पल हज़ारों,
कुछ बातें बस ऐसी होती हैं ||

कुछ एहसास बस ऐसे होतें हैं,
के रोशनी भी लगने लगती है पराई,
जुड़े होतें हैं हम कुछ इस तरह,
के आखें भी पलकों को खोलने से कतरातीं हैं,
कुछ बातें बस ऐसी होतीं हैं ||

कुछ ज़िन्दगी बाद ऐसी होती है,
की ये बातें, पल, महक, एहसास,
सब पराये हो जातें हैं,
बस तनहा रह जातें हैं,
छोटी भीगी यादें, कलम और आईना,
कुछ बातें बस ऐसीं होती हैं ||

vendredi 27 juillet 2012

বল তো প্রিয়ে





হাতে যখন তোমার হাথ,
চোখে চোখ মিলিয়ে কবে,
মুচকি হাসবে তুমি?
বল তো প্রিয়ে কবে মোকে ভালবাসবে তুমি?

মাথার চুলে নারকোল তেল,
গালে হাথে ভিকো ক্রীম,
কবে মাখিয়ে দেবে-গো তুমি?
বল তো প্রিয়ে কবে মোকে ভালবাসবে তুমি?

ডালে কখনো বেশি নুন,
কখনো ভাত-টি পোড়া,
দেখে চেখে জীভ কাটবে তুমি,
বল তো প্রিয়ে কবে মোকে ভালবাসবে তুমি?

শুয়ে আছ আজ নিঃশব্দে,
জ্বলে ধূনো, ধূপ চন্দন,
চোখ খুলে কবে আবার হাসবে তুমি?
বল তো প্রিয়ে কবে মোকে ভালবাসবে তুমি?

mardi 17 juillet 2012

कुछ दिन यों ज़िन्दगी






बारिश की मासूम बूँदें,
सरसराते पन्नो की आहट,
मिलकर बिखेर देतीं हैं,
मेरे दिवास्वप्न,
रह जाते हैं,
थरथराते होंठ,
और पंखे की आहट,
और इस तरह
कट जाती है,
कुछ दिन यों ज़िन्दगी |

कुछ पलों का साथ,
और पहाड़ों भर विरह,
कुछ तसवीरें,
और तश्तरी भर यादें,
दरवाजे पर धोबी की दस्तक,
तोड़ देती है दिवास्वप्न,
और कुछ इस तरह
कट जाती है कुछ दिन यों ज़िन्दगी ||

कुछ तेरी कहानी,
कुछ मेरे आंसू,
कुछ मेरी मुस्कराहट,
और तेरी हंसी,
कुछ अठखेलियों भरी यादों में,
कट जाती है,
कुछ दिन यों ज़िन्दगी ||

jeudi 12 janvier 2012

नईम, सलीम और सकीना




आज फिर जलवाफरोश हुए सभी ना,
जुड़वे थे नईम, सलीम, और एक सकीना |

जो नईम को प्यार से सराहा,
सलीम ने भी चेहरा आगे बढ़ाया,
सकीना से भी जाए रही ना,
दो थे नईम और सलीम, और एक सकीना |

कशिश बरस की छाई थी मन में,
कुछ ऐसे भीगे जुड़वे अगन में,
और अगन में डूबी सकीना,
दो थे नईम, सलीम, और एक सकीना |

देखते ही बनती थी जुढ़वों की रवानगी,
और भीगी भीगी सकीना की हैरानगी
और हैरान हुई गुलाबों सी हसीना,
दो थे नईम, सलीम, और एक सकीना |

रह रह के आती थी जुढ़वों की नालिश,
के ज़िन्दगी की थी वोह ही ख्वाहिश,
के ख़ुशी की जन्नत में डूबे और उभरे सकीना,
दो थे नईम, सलीम, और एक सकीना |