dimanche 4 novembre 2012

आज फिर





आज फिर जी उठने का मन है,
किसी से दिन भर बातें करने का मन है ।

टूटे दिल की शिकायत हो गयी कई बार ,
आज फिर से उसे जोड़ने का मन है,
किसी से जी भर बातें करने का मन है।

जो पल खोने थे वोह कब के खो गए,
आज फिर से नए पलों को ढूँढने का मन है,
किसी के साथ वक़्त चुराने का मन है।

बरबस ही बेबस चेहरा नहीं हो सकता तेरा,
यही कहता सामने का दर्पण है,
इस दिल में फिर कशिश लाने का मन है ।

हो गयी है ज़िन्दगी पुरानी कल की,
आज फिर नया उसे करने का प्रण है,
किसी को ज़िन्दगी बनाने का मन है,
आज फिर जी भर बातें करने का मन है ।

Aucun commentaire: