बारिश की मासूम बूँदें,
सरसराते पन्नो की आहट,
मिलकर बिखेर देतीं हैं,
मेरे दिवास्वप्न,
रह जाते हैं,
थरथराते होंठ,
और पंखे की आहट,
और इस तरह
कट जाती है,
कुछ दिन यों ज़िन्दगी |
कुछ पलों का साथ,
और पहाड़ों भर विरह,
कुछ तसवीरें,
और तश्तरी भर यादें,
दरवाजे पर धोबी की दस्तक,
तोड़ देती है दिवास्वप्न,
और कुछ इस तरह
कट जाती है कुछ दिन यों ज़िन्दगी ||
कुछ तेरी कहानी,
कुछ मेरे आंसू,
कुछ मेरी मुस्कराहट,
और तेरी हंसी,
कुछ अठखेलियों भरी यादों में,
कट जाती है,
कुछ दिन यों ज़िन्दगी ||
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