वस्त्र पीले थे,
जब तुमने खोले थे दीवार,
परोसे थे मिठाई और फल,
बिठाया था श्यामासन के समक्ष.
वस्त्र पीले थे,
जब हाथ थामे थे मैंने तुम्हारे,
और तुमने अपने चुनरी के,
टकटकी बाँध के देखा था मुझे जो तुमने,
और शायद कहा था मन ही मन
कौन हो तुम.
वस्त्र पीले थे
जब हो रहे थे विदा,
और पूछा था मैंने
आया जो कोई राजकुमार
उठा ले जाए तुम्हे,
कहा था तुमने झुकती आँखों से
मिल गया है मुझे वो.
lundi 13 avril 2009
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