dimanche 12 avril 2009

आज

आज याद आती है बस तुम्हारी,
तुम्हारी हंसी तुम्हारा खिलखिलाना
और मेरी बातें सुनकर यूँ मुस्कुराना
डायरी के पन्नो पर लिखी कवितायें
और कविताओं जैसी तुम्हारी आँखें
याद आतीं हैं बहुत याद आतीं है.

आज याद आती है बस तुम्हारी,
उन शीतल दिनों में तुम्हारी हाथों की छुवन
मेरे केशराशियो के बीच तुम्हारी उंगलियाँ
और तुम्हारी गोद में लेटा मैं
और तुम्हारी जुल्फों की महक,
याद आती हैं बहुत याद आतीं हैं.

आज याद आती हैं तुम्हारी बातें,
तुम्हारा वो शरमाके नज़रें झुकाना,
और छुप जाना मेरी बाहों में
और कहना बस यूँ ही कट जाएँ
दिन, महीने, बरस, बस यूँ ही,
याद आतीं हैं बहुत याद आतीं हैं.

आज याद आतीं है तुम्हारी बातें,
लेकर हाथों में हाथ
जो बैठे थे हम उस निठल्ले आसमान के नीचे,
कहा था तुमने मुझसे अपनी शर्माती आखों से
की शायद कभी ये यादें न भूलेंगी
याद आतीं है बहुत याद आती हैं.

आज याद आतीं है बस तुम्हारी
उस थाली में पूडियां और सब्जी
और गरम जलेबियाँ
एक तरफ मैं और तुम
और एक तरफ ज़िन्दगी के सपने
याद आतीं हैं बहुत याद आतीं हैं.

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