mercredi 31 octobre 2012

घड़ी खो गयी





बड़ी देर से पापा,
इंतज़ार था मुझे आपका,
क्या बताऊँ आपको मैं,
परेशान हो गयी,
मेरी प्यारी घड़ी खो गयी ||

यादें बसीं थीं मेरी उसमें,
संजोये थे उसमे सपने,
पर फिर भी पापा,
न जाने कहाँ फुर्र सी हो गयी,
मेरी प्यारी सी घड़ी खो गयी ||

बज रहे थे उस दिन  मेरे लिए,
ढोल, मंजीरे, खड़ताल,
सजी संवरी, सहमायी, घबराई सी थी मैं,
आपकी गुडिया तब डरपोक हो गयी,
बस वहीँ कहीं मेरी घड़ी खो गयी ||

हर सहेली मेरी पापा, अपने बाबुल को भूली,
पर पापा शायद मैं चढ़ गयी सूली,
खेल नहीं हैं यह गुड़ियों का,
क्या मेरी मां भी भूल गयी?
पापा मेरी प्यारी घड़ी खो गयी ||

पापा हर दिन, हर वार,
पीहर वालों के कटाक्षों की मार,
ज़िन्दगी शायद एक बोझ सी हो गयी,
पापा मेरी घड़ी खो गयी ||

जिद पर अड़े थे न तुम पापा?
अब देखो तुम्हारी बेटी फूट फूट के रोई,
भैया भी हैं अब रूठे,
भाभी ने अपने होठों पे सूई पिरोई,
ढूँढ दो पापा,
मेरी घड़ी है खोयी ||

ज़िन्दगी भर संग रहूंगी तुम्हारे पापा,
मेरे सर पे अपना हाथ सदा रखना पापा,
मेरी वह घड़ी खो गयी तो क्या हुआ,
मुझे दोबारा सूली पर चढाने की जिद न करना पापा ||

vendredi 26 octobre 2012

कुछ बातें






कुछ बातें बस ऐसी होतीं हैं,
कही नहीं जाती है तुमसे,
पर शायद साथ होने का एहसास ज़रूरी है,
कुछ बातें बस ऐसी होतीं हैं ||

कुछ पल बस ऐसे होतें हैं,
के छायी होती है चुप्पी,
और देखती रहती हैं आँखें,
एक दुसरे को एकटक,
कुछ बातें बस ऐसी होती हैं ||

कुछ महक बस ऐसीं होतीं हैं,
के खुशबू है तुम्हारे साँसों की,
और हाटों में हैं हाथ,
और बीत जाते हैं पल हज़ारों,
कुछ बातें बस ऐसी होती हैं ||

कुछ एहसास बस ऐसे होतें हैं,
के रोशनी भी लगने लगती है पराई,
जुड़े होतें हैं हम कुछ इस तरह,
के आखें भी पलकों को खोलने से कतरातीं हैं,
कुछ बातें बस ऐसी होतीं हैं ||

कुछ ज़िन्दगी बाद ऐसी होती है,
की ये बातें, पल, महक, एहसास,
सब पराये हो जातें हैं,
बस तनहा रह जातें हैं,
छोटी भीगी यादें, कलम और आईना,
कुछ बातें बस ऐसीं होती हैं ||